जहां तेरा नक़्शे-क़दम[1] देखते हैं
ख़ियाबां-ख़ियाबां[2] इरम[3] देखते हैं
दिल-आशुफ़्तगां[4] ख़ाले-कुंजे-दहन[5] के
सुवैदा[6] में सैरे-अ़दम[7] देखते हैं
तेरे सर्वे-क़ामत[8] से इक क़द्दे-आदम[9]
क़यामत के फ़ित्ने[10] को कम देखते हैं
तमाशा कर ऐ महवे-आईनादारी[11]
तुझे किस तमन्ना से हम देखते हैं
सुराग़े-तुफ़े-नाला[12] ले दाग़े-दिल से
कि शब-रौ[13] का नक़्शे-क़दम देखते हैं
बना कर फ़क़ीरों का हम भेस ग़ालिब
तमाशा-ए-अहले-करम[14] देखते हैं
शब्दार्थ: