इब्ने-मरियम [1] हुआ करे कोई
मेरे दुख की दवा करे कोई
शरअ-ओ-आईन[2] पर मदार[3] सही
ऐसे क़ातिल का क्या करे कोई
चाल, जैसे कड़ी कमाँ का तीर
दिल में ऐसे के जा[4] करे कोई
बात पर वाँ ज़बान कटती है
वो कहें और सुना करे कोई
बक रहा हूँ जुनूँ में क्या-क्या कुछ
कुछ न समझे ख़ुदा करे कोई
न सुनो गर बुरा कहे कोई
न कहो गर बुरा करे कोई
रोक लो, गर ग़लत चले कोई
बख़्श दो गर ख़ता करे कोई
कौन है जो नहीं है हाजतमंद[5]
किसकी हाजत[6] रवा[7] करे कोई
क्या किया ख़िज्र[8] ने सिकंदर से
अब किसे रहनुमा[9] करे कोई
जब तवक़्क़ो[10] ही उठ गयी "ग़ालिब"
क्यों किसी का गिला करे कोई
शब्दार्थ: