तुम न आए तो क्या सहर[1] न हुई हाँ मगर चैन से बसर[2] न हुई मेरा नाला[3]सुना ज़माने ने एक तुम हो जिसे ख़बर न हुईशब्दार्थ: ↑ प्रात: ↑ गुज़रना ↑ रोना-धोना, शिकवा