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मिर्ज़ा ग़ालिब की रचनाएँ
/ लो हम मरीज़-ए-इश्क़ के बीमार-दार हैं
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लो हम मरीज़-ए-इश्क़ के बीमार-दार हैं
अच्छा अगर न हो तो मसीहा का क्या इलाज
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