ऋण का बोझ

सैकड़ों बरस पहले की बात है। धारानगर में धरमू नाम का एक चमार रहता था। वह अपने भाई-चामरोन्की तरह वह भी जूते बना कर अपनी रोज़ी रोटी चलाता था। वह उस गाव की चौकीदारी का काम भी करता था। यह कथा उसके ऋण क बोझ कि है जो उतरने के हेतू वह पुरा जीवन व्यतीत कर देता है..

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